Add To collaction

रहस्यमाई चश्मा भाग - 6




सुयस चीखते चिल्लाते हुए कहा डा साहब अब मैं क्या कर सकता हूँ मेरा दाहिना हाथ ही नहीं है अब मै अपनी माँ कि सेवा कैसे कर पाउँगा मेरा यह जीवन किस काम का जब मै अपनी माँ की सेवा ही नहीं कर सकता।डा रणदीप ने कहा सुयस जिंदगी यही खत्म नहीं होती तुम हिम्मत वाले नौजवान हो तुम इस जिंदगी को ईश्वर का वरदान मानकर चुनौती को स्वीकार करों और नए जीवन का स्वागत करों सुयस निराश हताश जीवन की सच्चाई मानकर बोला डॉ साहब मेरी माँ अकेली परेशान होगी हमे उसके पास जाने दो मुझे अभी जाना है!


डॉ रणदीप ने सुयस को समझते हुए कहा सुयस तूम जाने की स्थिति में नहीं हो अभी तुम खतरे से बाहर नहीं हो सुयस जिद्द् कर बैठा अंत में हार कर् डॉ रणदीप ने कहा अच्छा ठीक है जिस महापुरुष के साथ मेरे अस्पताल में आये हो और जिसने तुम्हे बचने के लिये अपना खून दिया है उनसे मिलना नहीं चाहोगे सुबह होने तक रुक जाओ।


फिर सुयस को नीद का इंजेक्शन लगा दिया सुयस सो गया डॉ रणदीप भी चले गए।सुबह चौधरी साहब जल्दी ही उठ गए आज सुखिया को जगाना नहीं पड़ा उनकी आँखें बता रहीं थी की चौधरी साहब रात भर सोये नहीं है चौधरी साहब रोजाना की तरह तैयार होकर हवेली से बाहर निकलने लगे जहाँ मुख्य द्वार पर मुन्ना मियां बग्घी के साथ तैयार खड़े थे तभी सुखिया ने आकर बड़ी विनम्रता से कहा मालिक नास्ता तैयार है कुछ खालीजिये रात को भी आपने ठीक से खाना नहीं खाया था!

 चौधरी साहब ने कुछ कड़क अंदाज़ में कहा मुझे भूख नहीं है सुखिया ने बड़े भरी मन से कहा मालिक मेरी जरूरत तो कुछ कहने की नहीं है फिर भी मन नहीं मनाता कहे देते है बड़े मालिक हुजूर और मालिकिन ने हम सब कारिंदों से अंतिम समय वचन लिया था की हम लोग आपका हर तरह से ख्याल रखेंगे अब आप बताईये की आपके मन और चेहरे पर कैसे ख़ुशी आएगी वही हम लोग करे चौधरी साहब की आँखे भर आयी उन्होंने सुखिया के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला ठीक है!


चाचा शाम को भर पेट तुम्हारे हाथ का खाना खायेगे इस वक्त चलते है कहते हुये चौधरी साहब निकल लिये सुखिया देखता रह गया मुन्ना मियां पहले से इंतज़ार कर रहे थे उन्होंने कहा मालिक चलिये चौधरी साहब बग्घी पर बैठ गए और बग्घी रणदीप के अस्पताल की तरफ चल पड़ी लगभग एक घंटे शहर के बिभिन्न मार्गो से होती हुई बग्घी डॉ रणदीप के अस्पताल पहुंची चौधरी साहब जल्दी से जल्दी उत्तर कर डॉ रणदीप के अस्पताल की पहली सीड़ी पर कदम रखा अस्पताल के अंदर से तेज आवाजे आने लगी डॉ साहब उसे फिर होश आ गया जैसे की सुयस होश में आने के लिये के लिए चौधरी साहब का इंतज़ार कर रहा हो चौधरी साहब सीधे सुयस के बेड के पास पहुंचे और सुयस से पूछा कैसे हो नौजवान सुयस को समझ में नहीं था की इस महान व्यक्ति का जिसको उसने स्टेशन पर अपना गिरा चश्मा खोजते समय के बाद अब देखा है से जिंदगी बचाने की कृतज्ञता व्यक्त करे या हाथ गवाने का कारण और कीमत मांगे सुयस के जमीर ने उसे अंदर ही अंदर झकझोर कर रख दिया!


 उसने बड़ी विनम्रता से कहा आप हमारे पिता जैसे है आपने मुझे बचा कर दूसरा जन्म दिया है हाथ कट गया तो कोइ बात नहीं ईश्वर जरूर कोइ जीने का रास्ता देगा हां अंकल चुकी आपने मुझे बचा कर दूसरा जन्म दिया है अतः आप मेरे मानसिक पिता के सामान है अतः आपकी इजाजत हो तो मैं आपको बाबूजी कह सकता हूं चौधरी साहब को लगा की आज भगवान् उन पर ख़ास मेहरबान है वो बच्चों की तरह फफक कर रो पड़े किसी तरह से खुद को नियंत्रित करके बोले विल्कुल मैं बाबूजी ही हूँ ।

सुयस उठने को हुआ चौधरी साहब ने सुयस को गले लगा लिया इसी बीच डा रणदीप वहां पहुच चुके थे चौधरी साहब को इतना भावुक देख आश्चर्य में पड़ गए बोले चौधरी साहब मरीज को आराम को जरूरत है।



सुयस चौधरी साहब के आगोश से जुदा अपने बेड पर लेट गया और चौधरी साहब से बड़ी विनम्रता पूर्वक बोला बाबूजी मेरे पास माँ के सिवा कुछ नहीं है वही मेरा वर्तमान भविष्य जिंदगी संसार सृस्टि भगवान् है उसने मुझे नौकरी के साक्षात्कार के लिये घर से भेजा था और मुझे शाम तक लौटना था आज तीन दिन हो गए वह परेशान होगी मुझे उसके पास पहुंचा दीजिए!


डॉ रणदीप ने कहा नहीं आप अभी पंद्रह दिन तक आप कही नहीं जा सकते आपके जिंदगी की गारन्टी चौधरी साहब को वचन दिया है चौधरी साहब ने कहा तुमने हमे बाबूजी कहा है हमारा भी कुछ हक है तुम ठीक हो जाओ सब अच्छा होगा तब तक हम किसी को भेज कर तुम्हारी माँ को यही बुलवा लेते है अब तुम आराम करो ।


चौधरी साहब डा रणदीप को कुछ आवश्यक सलाह देकर अस्पताल से बाहर निकले और बग्घी पर बैठ गए और उनके बग्घी पर बैठते ही मुन्ना मियां ने बग्घी हांक दी दिन के दो बज रहे थे बग्घी सीधे चौधरी साहब के हवेली के सामने रुकी चौधरी साहब तुरन्त उत्तर कर हवेली में अपने दरबार हाल में पहुंचे!


वहाँ पहुँचते ही उन्होंने तुरंत सुखिया को आवाज लगायी सुखिया भागा आया बोला मालिक हुकुम चौधरी साहब बोले सुखिया हवेली में इस समय जितने लोग काम पर हो सबको बुलाओ सुखिया जिस रफ़तार से आया था उसी रफ्तार से दौड़ते हुए हवेली के सभी कारिंदों को आवाज देने लगा आधे घंटे के भीतर हवेली के सभी कारिंदे चौधरी साहब के दरबार हाल में हाजिर हो गए सबके आने के बाद चौधरी साहब कड़क आवाज में बोले तुम सभी को मालुम है की इस बार मेरे साथ एक नौजवान जख्मी हालत में आया था जिसका इलाज डा रणदीप के अस्पताल में चल रहा है उस की माँ को बुलाने जाना है!
आप सभी बताओ किसे भेजा जाए!     





नन्दलाल मणि त्रिपाठी 




   19
4 Comments

kashish

09-Sep-2023 07:41 AM

Awesome

Reply

KALPANA SINHA

05-Sep-2023 11:59 AM

Awesome

Reply

Abhinav ji

05-Jul-2023 08:30 AM

Very nice 👍

Reply